सपनो की दुनिया एक अधूरा सच: एक खोफनाक कहानी
मेरा नाम वैदिका है । मैं भोपाल के एक college में पढ़ती हूं मैं आज ही नई जगह पर शिफ्ट हुई हूं पर ना जाने ये जगह जानी पहचानी सी है जैसे मैं इस जगह पर पहले भी आई हूं। मगर मैं यहां पर पहली बार आई हूं पर ना जाने ये जगह किसी की याद दिलाती हैं कुछ धुंधला धुंधला सा नजर के सामने आता है
फोन के बजने की आवाज ....🕻🕻🕻🕻🕻🕻🕻🕻🕻🕻...
मयूर - अरे वेदिका कहा हो तुम । हम कबसे तुम्हारा wait कर रहे है
वैदिका - ohh sorry मयूर मैं तो भूल ही गई थी आज हमे birthday party में जाना था पर यार मैंने आज ही न्यू रूम शिफ्ट किया है मैं बहुत थक गई हूं तुम लोग चले जाओ
तभी रचना मयूर से फोन ले लेती है
रचना - वैदिका की बच्ची आ रही हो या आए तुम्हे उठने जल्दी नीचे आओ ready होकर हम बस 15 मिनट में तुम्हारे घर के बाहर आते है
वैदिका - यार तुम तो जानते ही हो जय से मेरी कुछ खास बनती नही मैं उसकी birthday party में जाकर अपना mood off नही करना चाहती
रचना- ठीक है वेदिका तू नही जाएगी तो हम भी नही जायेगे
वैदिका- रचना यार समझने की कोशिश करो
रचना- हमे कुछ नही समझना जय हमारा दोस्त है उसको थोड़ा बुरा लगेगा ।कोई बात नही पर अगर तू नही जाएगी तो हम भी नही जायेगे
वैदिका - बाप रऐ कितनी नौटंकी करते हो तुम लोग आती हूं तुम बस 10 min दो मैं रेडी होकर आती हूं
वैदिका ready होने के लिए चली जाती है वह अलमारी से कपड़े निकाल रही होती है तभी उसको लगता है जैसे उसको कोई देख रहा है
वह पीछे मुड़ कर देखती है वहा पर उसको कोई दिखाई नही देता ।
वैदिका - ये रचना भी ना फालतू की जिद्द करती है अब जय की birthday party में मेरा क्या काम
खैर कोई बात नहीं अब जाना तो पड़ेगा ।
वैदिका बाथरूम में facewash करती है तभी उसको एक परछाई दिखाई देती है
वैदिका - कौन ?कौन है वहा
मैं कहती हूं सामने आओ
वैदिका पीछे मुड़ती है और चिलाती है
बचाओ.......................
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